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हैदराबाद निजाम क्यों कहे गए मारवाड़ी सेठ के नाजायज बेटे, अजीब है ये कहानी, क्या थी सच्चाई
Sep 17, 2024
हैदराबाद के आखिरी निजाम थे उस्मान अली. वह दुनिया के सबसे ज्यादा दौलतमंद लोगों में शामिल थे. लेकिन जिंदगीभर कुछ लोग उन्हें एक मारवाड़ी सेठ का नाजायज बेटा मानते रहे. खुद उनके पिता ने भारत सरकार को शिकायत लिख दी थी कि ये उनका बेटा नहीं है.
उन्होंने अपने दो अन्य बेटों को अपनी असली औलाद मानना शुरू कर दिया था. इसके पीछे भी दिलचस्प कहानी है.
ये पूरी कहानी दीवान जर्मनी दास ने अपनी किताब "महाराजा" में लिखी है. ये वही निजाम थे, जिन्होंने हैदराबाद रियासत को भारत में मिलाने से मना कर दिया था. तब भारतीय सेनाओं ने वहां आपरेशन चलाया और हैदराबाद का विलय भारत में करा लिया गया.
पहले तो हम निजाम की कंजूसी के बारे में आपको बताते हैं. निजाम का पूरा नाम था मीर उस्मान अली खान, उन्हें आसफ जाह भी कहा जाता था.उनके पिता और छठे निजाम का नाम था महबूब अली खान. निजाम का अर्थ होता है हाकिम. एक जमाने में हैदराबाद रियासत के निजाम औरंगजेब और दिल्ली सल्तनत के हाकिम ही थे, बाद में उन्होंने मुगल सल्तनत के कमजोर होने पर उससे विद्रोह करके अपनी अलग रियासत बनाने की घोषणा कर दी थी.
सातवें निजाम की कंजूसी की बात पहले.कहा जाता है कि निजाम ने अपनी ही रियाया से पैसा हड़पने के नए नए तरीके बनाए हुए थे. वह खजाने से मोटी सैलरी लेता था लेकिन उसमें से एक भी खर्च नहीं करता था. सारा खर्च राज्य के खजाने से कराता था. चाहे उसके द्वारा दी गई पार्टियां हों या किसी मेहमान का स्वागत.
छठे निजाम के निधन के बाद उस्मान अली ने विरोध के बीच सत्ता हासिल की. वह सातवें और आखिरी निजाम बने. (wiki commons)
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