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Shree Dharmrajeshwar Temple: इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना धर्मराजेश्वर मंदिर, इसमें शिखर पहले बना और नींव बाद में
May 17, 2025
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथShree Dharmrajeshwar Temple Mandsaur: मध्य प्रदेश के मंदसौर जिला मुख्यालय से 106 किलोमीटर दूर गरोठ तहसील का धर्मराजेश्वर मंदिर अद्भुत उदाहरण है।
इस मंदिर को विशाल चट्टान काटकर बनाया गया है। इस अद्भुत और अकल्पनीय मंदिर का निर्माण ही उल्टे तरीके से हुआ है। इसमें शिखर पहले बना और नीचे का हिस्सा यानी नींव का निर्माण बाद में हुआ। गुफा मंदिर के नाम से भी पहचाने जाने वाला यह मंदिर वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। धर्मराजेश्वर मंदिर की वास्तुकला एलोरा के कैलाश मंदिर के समान है। यह मंदिर एकात्मक शैली में बना है। केंद्र में 14.53 मीटर की ऊंचाई और 10 मीटर की चौड़ाई वाला एक बड़ा पिरामिड के आकार का मंदिर है।
मंदिर के शिखर को उत्तर भारतीय शैली में डिजाइन किया गया है। मुख्य मंदिर के प्रवेश द्वार को भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की मूर्तियों से उकेरा गया है। धर्मराजेश्वर मंदिर भले ही जमीन के अंदर बना है, लेकिन सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह तक जाती है। ऐसा लगता है मानो भगवान सूर्य घोड़ों पर सवार होकर शिव जी और विष्णु जी के दर्शन के लिए आए हों।
मंदिर में विष्णु जी के अलावा शिव जी की प्रतिमा है। इनके अलावा शिवलिंग भी स्थापित है लेकिन पूरे मंदिर में शिव जी के वाहन नंदी की प्रतिमा नहीं है, इसलिए यह 'हरिहर' मंदिर है। 'हरि' का मतलब भगवान-विष्णु और 'हर' से महादेव है। ऐसी मान्यता है कि शिवरात्रि के अवसर पर यहां रात रुकने से मोक्ष मिलता है। मंदिर के करीब पहुंचने तक यह अहसास नहीं होता है कि यहां कोई मंदिर भी होगा। मंदिर में दर्शन के लिए आपको जमीन के 9 फुट नीचे जाना होता है।
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